श्री आगलोड तीर्थ
श्री आगलोड तीर्थ
श्री वासुपूजय स्वामी भगवान
यह तीर्थ आगलोड गांव की बहार मगरवाडीया नाम की एक छोटी टेकरी पर आया है। यह स्थान विक्रम संवत 1733 के महा सुद 5 के दिन आचार्य शांतिसोमसूरि ने 121 उपवास से श्री मणिभद्र देव को प्रत्यक्ष करके उन्होंने बतायेल जगह पर मंदिर में मिट्टी का पिंड का मणिभद्रजी का धड स्थापन किया। तब मणिभद्रजी ने कहाँ कि , जो आचार्य पद प्राप्त करके यहाँ आकर मुजको धर्मलाभ का आशीर्वाद देंगे और अठ्ठम करेंगे उसको जिनशासन की प्रभावना में सहाय करुंगा। तब से वहाँ प्राचीन मंदिर , आदिनाथ के पगलिये , गुरु पगलिये की देरी थी। आगलोड गांव का पूजारी धूप दीवो करके जाता था।
विक्रम संवत 2021 में आचार्य आनंदधनसूरिजी वहाँ पधारे। जाप करके तीर्थ के उद्धार की प्रेरणा की। संवत 2041 में जिनालय का खनन शिलास्थापन करके अनुपम कलाकृति से युक्त विशाळ जिनालय में श्वेत वर्ण के पद्मासनस्थ मनमोहक श्री वासुपूजय स्वामी भगवान को मूळनायक संवत 2046 में वैशाख वद 6 के दिन पूजयश्री के हाथों प्रतिष्ठा हुई। प्रभु की प्रतिमा 151 से.मी. की है। यहाँ उपाश्रय धर्मशाळा भोजनशाळा है।विजापुर रेल्वे स्टेशन से यह तीर्थ 12 कि.मी. दूर है।
पता
श्री जैन श्वेतांम्बर मूर्तिपूजक संघ
आगलोड 382805
गुजरात
Comments
Post a Comment