चालों हम श्री शत्रुंजय गिरिराज की 6 गाउ की भावयात्रा करते है।
चालों हम श्री शत्रुंजय गिरिराज की 6 गाउ की भावयात्रा करते है।
देवकी के 6 पुत्र की देरी :
सबसे पहले देवकी के 6 पुत्र की देरी आती है। वसुदेव की पत्नि देवकी ने पहले क्रमशः 6 पुत्रो को जन्म दिया था। कंस के डर से जन्म होते ही हरिणगमेषी देव उन पुत्रो को नगदत्त की पत्नि सुलसा के पास रखते है। वे सभी 6 पुत्र नेमिनाथ प्रभु के पास दीक्षा लेकर साधना करने लगे। वे 6 मुनि श्री शत्रुंजय महातीर्थ पर अनशन करके मोक्ष में गये।
उलखा जल :
पूर्वे दादा का न्वणन का पक्षाल जमीन में से होकर यहाँ आता था ऐसा माना जाता है। पास में छोटी देरी में आदिनाथ दादा के पगलिये है। नमो जिणाणं कहकर छोटा चैत्यवंदन करते है।
चंदन तलावडी :
ऋषभदेव भगवान के शासन में हुए चिल्लण मुनि, मतांतर से महावीर स्वामी के शासन में सुधर्मा गणधर के शिष्य चिल्लण मुनि संघ के साथ श्री शत्रुंजय पधारे। संघ तृषातुर हो गया था। मुनि ने करुणा से प्रेरित हो कर तप लब्धि से जमीन से पानी निकाल कर एक तालाब बना दीया। लोगो की तृषा शांत हुई। मुनि को इस कार्य से हुई विराधना का प्रायश्चित करते केवलज्ञान हुआ और यहाँ से मोक्ष में गये। चंदन तलावडी के पास देरी में श्री अजितनाथ भगवान और श्री शांतिनाथ भगवान के पगलिये है।
रत्न की प्रतिमा :
तलावडी की पास ही कोठा के वृक्ष की नीक अलक्ष नाम के देवल के पास में भरत चक्रवर्ती ने भराई हुई 500 धनुष्य की प्रतिमा सगर चक्रवर्ती ने यहाँ गुफा में पधराई है। अठ्ठम के तप से प्रसंन्न होकर कपर्दी यक्ष यह प्रतिमा के दर्शन कराते है। जिसको यह प्रतिमा के दर्शन होते है वो 3 भव में मोक्ष में जाते है।
सिद्धशीला :
चंदन तलावडी के पास सिद्धशीला है। यहाँ के एक एक कंकर से अनंत आत्मा सिद्ध हुए है। इस शीला पर से दूसरे स्थान से कई अधिक गुने आत्मा सिद्ध हुए है। इसलिये ही इस स्थान को सिद्धशीला कहते है। यहाँ लोगो संथारा की मुद्रा में 12 , 21 , 27 , 108 लोगस्स का कार्योत्सर्ग करते है। यहाँ आ कर पूर्व के मुनियो की स्मृति और रत्न के प्रतिमा के दर्शन का भाव राखना चाहिये।
भाडवा डुंगर :
चंदन तलावडी से आगए जाने से भाडवा का डुंगर आता है। वहाँ से फागुण सुद 13 के धन्य दिन पर 8.5 करोड मुनि के साथ श्री कृष्णजी के सुपुत्रो शांब और प्रद्युम्न मोक्ष में गए है। उसकी याद में 2 देरी है। 1 देरी में आदिनाथ भगवान और दूसरी देरी में शांब और प्रद्युम्न के पगलिये की जोड है।
सिद्धवड :
भाडवा के डुंगर से नीचे उतारतां एक वड आता है जिसको सिद्धवड कहते है। दूसरे सभी स्थान से ज्यादा आत्माए यहाँ से मोक्ष पधारे है। वहाँ देरी में ऋषभदेव प्रभु के पगलिये है। वहाँ चैत्यवंदन करना है।
यहाँ 6 गाउ की यात्रा पूर्ण होती है।
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